Thursday, March 17, 2011

मै अपने आप से घबरा गया हूँ,
          मुझे ऐ ज़िन्दगी दीवाना कर दे ,

बड़े ही शौक से इक ख्वाब में खोया हुआ था मै ,
    अजब मस्ती भरी इक नींद में सोया हुआ था मै,

खुली जब आँख तो थर्रा गया हूँ ,थर्रा गया हूँ ,


मै अपने आप से घबरा गया हूँ,
          मुझे ऐ ज़िन्दगी दीवाना कर दे ,


कहाँ से ये फरेब-ए-आरजू मुझको कहाँ लाया,
जिसे मैं पूजता था आज तक, निकला वो इक साया ,
खता दिल की है ,मैं शर्मा गया हूँ शर्मा गया हूँ 

मै अपने आप से घबरा गया हूँ,
          मुझे ऐ ज़िन्दगी दीवाना कर दे ,
 

3 comments:

  1. लिखा आपने अच्छा है पर क्यूंकि आपने अपने ब्लॉग को किसी एग्रीगेटर में सम्मिलित नहीं किया है इसलिए आपके ब्लॉग पर पाठक कम आ रहे हैं

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  2. "कहाँ से ये फरेब-ए-आरजू मुझको कहाँ लाया,
    जिसे मैं पूजता था आज तक, निकला वो इक साया ,
    खता दिल की है ,मैं शर्मा गया हूँ शर्मा गया हूँ"


    बहुत खूब

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  3. " भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" की तरफ से आप को तथा आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामना. यहाँ भी आयें. www.upkhabar.in

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