याद के झरोखे से निकल के,
एक आरज़ू तेरी और ले आई है,
कुछ ऐसी कसक दिल में उठी
के मेरी आँख भर आई है
क्या तेरी यादों का समाँ, कुछ इतना भीगा सा है
के हर तरफ एक धुंध सी छाई है,
आज बारिश तो न हुई मेरे आंगन में लेकिन,
दिन भर से बस घनघोर घटा छाई है
तेरे जाने से न दिन कम, हुए ना रात ही,
जो कम हुई , तेरे प्यार की परछाई है ,
साहिल: २१/७/१२