Sunday, July 22, 2012

  याद के झरोखे से निकल के,
 एक आरज़ू तेरी और ले आई है,

कुछ ऐसी कसक दिल में उठी
 के मेरी आँख भर आई है 

क्या तेरी यादों का समाँ, कुछ इतना भीगा सा है
के हर तरफ एक धुंध सी छाई है,

आज बारिश तो न हुई मेरे आंगन में  लेकिन,
 दिन भर से बस घनघोर घटा छाई है 

तेरे जाने से न दिन कम, हुए ना रात ही,
जो कम हुई , तेरे प्यार की परछाई है ,

साहिल: २१/७/१२ 



Saturday, July 7, 2012

आंसुओ  में धुली  ख़ुशी  की तरह ,
रिश्ते  होते  है  शायरी  की  तरह ,

जब  कभी  बादलों  में  घिरता  है ,
चाँद  लगता  है  आदमी  की  तरह ,

किसी  रोज  किसी  दरीचे  से ,
सामने   आओ  रौशनी  की  तरह ,

सब  नजर  का  फरेब  है ,
कोई   होता  नहीं  किसी  की  तरह ,

खुबसूरत ,उदास ,खौफजदा ,
वो  भी  है  बीसवी  सदी  की  तरह ,