Thursday, November 28, 2013

॥ संवेदना ॥

संवेदना की मृदु धरा पर
शब्द तुमने  बो दिए
ताल यह घोषित करेगा 
पद्य हो अपद्य हो ॥ १॥ 

मान हो अपमान हो
या  स्वाभिमान कि हो विजै 
काल यह घोषित  करेगा 
लज्ज  हो निर्लज्ज हो ||2|| 

राग हो अनुराग हो या
 प्रेम का छ्द्मावरण 
भाव यह घोषित  करेगा
 लिप्त हो निर्लिप्त हो ||3||

शूल होंगे मार्ग में या
 पुष्प का होगा सदन 
भाग्य यह घोषित करेगा
 युक्त हो निर्युक्त हो ||4||

अनंताविरत  ……
 
मोहन गोड़बोले "साहिल"
२८/११/२०१३ 

Monday, November 25, 2013

प्रथम त्रिवेणी



" पलकें बंद करता हूँ तो दर्द छलकता है 
  खुली रखता हूँ तो आँखों में चमकता है 
   दर्द है या साग़र  है खाली पैमानों से भी झलकता है 
 
                                                -मोहन गोडबोले"साहिल"( २४/११/१३)