तुम जो हसती हो तो हवाओं को
तितलियों के पर मिलते हैं
तुम्हारी खुश्बू से ग़ुलों के
बदन महकते हैं
तुम जो नज़र भर के देख लो
तो बहारें अँगड़ाईयाँ ले लेती हैं
तुम्हारी आहट से मौसमों के
तेवर बदलते हैं
तुम ज़िंदगी, तुम बंदगी, तुम ही इबादत हो,
तुम्हारे वस्ल के पल ख़ुसूसियत से मिलते हैं
ख़ुदा करे ये ज़िंदगी तुम पर इतनी मेहरबान हो जाए
के इस ज़मी से फ़लक तक तुम्हारा एहतराम हो जाए
मैंने माना की मेरा हासिल तेरा ये हिज्र सही
बस एक पल तेरे होठों की सरहद पर,
मेरे भी नाम का कोई मक़ाम हो जाए
साहिल
तितलियों के पर मिलते हैं
तुम्हारी खुश्बू से ग़ुलों के
बदन महकते हैं
तुम जो नज़र भर के देख लो
तो बहारें अँगड़ाईयाँ ले लेती हैं
तुम्हारी आहट से मौसमों के
तेवर बदलते हैं
तुम ज़िंदगी, तुम बंदगी, तुम ही इबादत हो,
तुम्हारे वस्ल के पल ख़ुसूसियत से मिलते हैं
ख़ुदा करे ये ज़िंदगी तुम पर इतनी मेहरबान हो जाए
के इस ज़मी से फ़लक तक तुम्हारा एहतराम हो जाए
मैंने माना की मेरा हासिल तेरा ये हिज्र सही
बस एक पल तेरे होठों की सरहद पर,
मेरे भी नाम का कोई मक़ाम हो जाए
साहिल