मुझसे बेहतर तुझे इश्क की, कोई वजह मिले न मिले
आरज़ू है मेरे दिल को , तू आजमा के तो देख
तेरे दिल की हो या मेरे दिल की, कोई सुबह खिले न खिले
चन्द लम्हों की मुलाक़ात को तू आ के तो देख
पिघल जाने दे आज जज्बातों को मोंम की तरह
एक बार मुझे सीने से लगा के तो देख
तेरी हिकारत तो सदियों से सहता रहा
एक बार मेरी तरफ मुस्कुरा के तो देख
न मिल मुझसे मौसम की तरह रंग बदले बदले
एक बार असल मिजाज़ में तू आके तो देख
मुझसे बेहतर तुझे इश्क की, कोई वजह मिले न मिले
आरज़ू है मेरे दिल को , तू आजमा के तो देख
मोहन गोडबोले (साहिल)- 21/11/12