Monday, February 21, 2011

कभी सोचता हूँ की क्या हूँ मैं .......?

कभी सोचता हूँ की क्या हूँ मैं .......?

कभी सोचता हूँ की क्या हूँ मैं ,
  बस इसी उधेड़बुन में उलझा हुआ हूँ मैं,

कभी रिंद, कभी साक़ी कभी मयकदा हूँ ,
   कभी बेफिक्रों की तरह उडता धुआं हूँ मैं,

कोई रिश्ता कोई बंधन कोई नाता हूँ ,
 या ऐसी ही किसी डोर से बंधा हुआ हूँ मैं ,

कोई दे देता है खुश होकर या कोई देता है खफा होकर  ,
 शायद कोई दुआ या कोई बद्दुआ हूँ मैं ,

चमकना था मुझे जगमगाते सितारों की मानिंद ,
  सूरज की रौशनी में ही धुंधला हुआ हूँ मैं..

कभी सोचता हूँ की क्या हूँ मैं ,
  बस इसी उधेड़बुन में उलझा हुआ हूँ मैं,


कभी सोचता हूँ की क्या हूँ मैं..................

                                                            मोहन गोडबोले (साहिल)  :- २१/२/२०११