शहर की रगों में बहुत दबाव आ गया है
लगता है शायद चुनाव आ गया है,
चमचों की मूंछो पे अचानक बहुत ताव आ गया है
लगता है शायद चुनाव आ गया है,
सरकारी बाशिंदों की पेशानी पे, बहुत तनाव आ गया है
लगता है शायद चुनाव आ गया है,
हुआ छतों से नदारद तिरंगा , साईकिल,पंखा और नाव आ गया है ,
लगता है शायद चुनाव आ गया है,
चमचमाने लगी शहर की सड़कें और गड्ढों में भराव आ गया है,
लगता है शायद चुनाव आ गया है,
बिजलियाँ पूरे समय मिल रहीं , सूखे नलों मे बहाव आ गया है .
लगता है शायद चुनाव आ गया है,
बह रही दारू पानी की तरह, वोटरों को लुभाने का ये सुझाव आ गया है
लगता है शायद चुनाव आ गया है,
कल तक महंगी कारों में घुमने वाला, आज द्वारों पे नंगे पाँव आ गया है
लगता है शायद चुनाव आ गया है, ॥अ॥
ईद होली दिवाली संग खेलते थे इन्सां, इन वोटों से मजहबी कटाव आ गया है
लगता है शायद चुनाव आ गया है, ॥ अ ॥
जब से पडोसी ने परचा भरा है , कुछ जियादा ही मुझसे लगाव आ गया है
लगता है शायद चुनाव आ गया है,
देहरादून में आगामी नगर निकाय के चुनावों पर व्यंग्यात्मक कविता
मोहन गोडबोले ( साहिल) - २४/४/२०१३
लगता है शायद चुनाव आ गया है,
चमचों की मूंछो पे अचानक बहुत ताव आ गया है
लगता है शायद चुनाव आ गया है,
सरकारी बाशिंदों की पेशानी पे, बहुत तनाव आ गया है
लगता है शायद चुनाव आ गया है,
हुआ छतों से नदारद तिरंगा , साईकिल,पंखा और नाव आ गया है ,
लगता है शायद चुनाव आ गया है,
चमचमाने लगी शहर की सड़कें और गड्ढों में भराव आ गया है,
लगता है शायद चुनाव आ गया है,
बिजलियाँ पूरे समय मिल रहीं , सूखे नलों मे बहाव आ गया है .
लगता है शायद चुनाव आ गया है,
बह रही दारू पानी की तरह, वोटरों को लुभाने का ये सुझाव आ गया है
लगता है शायद चुनाव आ गया है,
कल तक महंगी कारों में घुमने वाला, आज द्वारों पे नंगे पाँव आ गया है
लगता है शायद चुनाव आ गया है, ॥अ॥
ईद होली दिवाली संग खेलते थे इन्सां, इन वोटों से मजहबी कटाव आ गया है
लगता है शायद चुनाव आ गया है, ॥ अ ॥
जब से पडोसी ने परचा भरा है , कुछ जियादा ही मुझसे लगाव आ गया है
लगता है शायद चुनाव आ गया है,
देहरादून में आगामी नगर निकाय के चुनावों पर व्यंग्यात्मक कविता
मोहन गोडबोले ( साहिल) - २४/४/२०१३