Wednesday, January 19, 2011

  !! क्या मुझमे एह्तेजाज की ताक़त नहीं रही, पीछे की सिम्त  किसलिए  हटने लगा हूँ मैं,
      तुमने भी ऐतबार की चादर समेट ली, शायद ज़बान दे के पलटने लगा हूँ मैं !!

एह्तेजाज: विरोध, प्रतिकार
सिम्त: दिशा

Thursday, January 6, 2011

"जीवन क्या है ? "

 "जीवन क्या है ? "

कभी सोचता हूँ की जीवन क्या है, पल दो पल का आना जाना,
सांसो के इस फेर में बुनते, हम रिश्तों का ताना बाना ||

पल में यादों के बंधन बंधते, पलक झपकते हाथ छूटते,
देर नहीं लगती थोड़ी भी, हमराही का साथ छूटते ||

कल तक जो लगता था अपना, आज हुआ एक हसीन सपना,
सपनों की इस रंगीं दुनिया में क्या खोना और कैसा पाना,
जो अभी है पास तुम्हारे, एक दिन है सबकुछ मिट जाना ||

कब तक सहेज कर ओस को , पतझड़ के पत्तों पर रखते,
तेज हवा के झोंके से नहीं, बच सकते झड़ने से पत्ते,

जीवन के अंतिम पड़ाव पर राही कब मंजिल पता है,
छोड़ रिश्तों के बंधन सारे , दूर अकेला निकल जाता है ||


कभी सोचता हूँ की जीवन क्या है, पल दो पल का आना जाना,
सांसो के इस फेर में बुनते हम रिश्तों का ताना बाना ...............

                                                                              मोहन गोडबोले -" साहिल" : ११-०५-२००३