Sunday, December 16, 2012

बन रहे थे जो सबब मुश्किल का, मेरे अपनों की,
बहा दी अस्थियाँ गंगा में, मैंने ऐसे सपनों की 


- साहिल 

Friday, December 7, 2012

तेरे मद भरे नैनों में , जिंदगी की शाम हो जाये
तू जो एक बार छू ले, हर पैमाना जाम हो जाये 

साथिया आज हम पे ,बस इतनी  इनायत कर दे 
तेरे हाथों से ही जीने मरने  का, इंतजाम हो जाये 

कब तलक दौर ऐ जहाँ में ,रुसवाइयां मिलती रहे 
कभी तो इस बेचैन दिल को , आराम हो जाये 

साहिल - 07/12/12