जीवन के उत्तुंग शिखर के
आरोहण की विजय कामना
किन्तु पथिक है मार्ग कठिन यह
एक दूजे का हाथ थामना।।
क्षणिक विजय के सम्मोहन में
लक्ष्य न हो नैनों से ओझल
क्षणिक पराभव के दर्शन से
देह शिरायें हो नहीं बोझल
कर्तव्यों की प्रत्यंचा पर
तुम अपना अभिमान तानना
किन्तु पथिक है मार्ग कठिन यह
एक दूजे का हाथ थामना।।
रक्त, स्वेद, अतिरंजित मूर्छा,
न ही वेदना से चिंतित हो
लक्ष्य प्राप्ति की प्रखर चेतना
आवाह्न ऊर्जा सिंचित हो
ध्येय धनुष की प्रत्यंचा पर
जीवन का बलिदान तानना
किन्तु पथिक है मार्ग कठिन यह
एक दूजे का हाथ थामना।।
मोहन गोडबोले"साहिल" 23-12-2015