Monday, June 3, 2013

तू है तेरी आरजू भी है....

तू है तेरी आरजू भी है, 
और तेरी नज़र-ऐ-साकी है 
जिंदगी के गुजर जाने में,
बस दो चार पहर बाकी है 

ऐसे न चिल्मन से छुपाओ 
अपना हुस्न- ऐ -माहताब,
रात बाकि है अभी, 
और सहर बाकी  है 

- साहिल (४/६/१३)

No comments:

Post a Comment