मैं ख़ुली हुई सी किताब का
छुपा हुआ सा एक हर्फ़ हूँ
ये मुड़ी हुई सी जो पर्त है
सरका के इसको तो देख ज़रा
रुख से पर्दा हटा के तो देख ज़रा
मुझसे नजरें मिला के तो देख ज़रा
हर्फ़ = शब्द
मोहन गोडबोले ( साहिल) - 29-5-13
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