Thursday, May 30, 2013

हर्फ़

मैं ख़ुली हुई सी किताब का 
छुपा  हुआ सा एक हर्फ़ हूँ 
ये मुड़ी हुई सी जो पर्त  है 
सरका  के इसको  तो देख ज़रा 
रुख से पर्दा हटा के तो देख ज़रा 
मुझसे नजरें मिला के तो  देख ज़रा 

हर्फ़ = शब्द

मोहन गोडबोले ( साहिल) - 29-5-13

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