Friday, May 3, 2013

"एक विचार- क्रन्तिकारी"



हमारी ख़ामोशी को हमारी कमजोरी न समझ 
हमारी सहिष्णुता को हमारी मजबूरी न समझ 
जिस दिन शमशीर उठा लेंगे 
कश्मीर तो क्या तुझसे लाहौर भी छुड़ा लेंगे 

मत भूल ऐ पडोसी मुल्क कि, 
सियासत में मुनासिब रवादारी
बखूबी हम समझते हैं 

हो लबों पर भले ही ख़ामोशी, 
पर हाथ हम भी ट्रिगर पर रखते हैं 

          साहिल- ( २/५/१३ )

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