Thursday, April 18, 2013

मैं अब ,"बड़ा" हो गया हूँ !



जिंदगी तेरे अजब मोड़ पे, आके खड़ा हो गया हूँ 
उम्र से पहले ही शायद, उम्र से "बड़ा "हो गया हूँ 

है उम्मीद की जाने लगी, मुझसे  बड़ों की तरह 
लगता है की सचमुच,  अब "बड़ा "हो गया हूँ   

मुझसे छोटे मेरी सुनते नहीं, बड़े सुनाने नहीं देते
कुछ बोलो तो कहते हैं, की नकचढ़ा हो गया हूँ 

है ये हकीक़त तो मुझको मेरे हाल पे रहने दो 
गिरते पड़ते सही अपने पैरों पर खड़ा हो गया हूँ 

इल्म दुनिया की रवायत का आने लगा है मुझको 
न हो हैरान ऐसे की  मैं, अब "बड़ा" हो गया हूँ 

मोहन गोडबोले (साहिल)- १८/४/१३ 

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