आंसुओ में धुली ख़ुशी की तरह ,
रिश्ते होते है शायरी की तरह ,
जब कभी बादलों में घिरता है ,
चाँद लगता है आदमी की तरह ,
किसी रोज किसी दरीचे से ,
सामने आओ रौशनी की तरह ,
सब नजर का फरेब है ,
कोई होता नहीं किसी की तरह ,
खुबसूरत ,उदास ,खौफजदा ,
वो भी है बीसवी सदी की तरह ,
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